आंठवा फेरा- Akash Shukla

एक घर होगा एक गाड़ी .

आँगन मे एक दुलारी .

आधा आधा जुड़ जाएँगे .

एक दुनिया नई बसाएँगे .

लेंगे हम चल कर साथ कदम .

दुख दर्द कर अग्नी मे भस्म .

एक खुशी भरा जीवन होगा .

सुख ज़्यादा दुख थोड़ा कम होगा .

कुछ साल चलेगा घर अपना .

तुम होगी इन सर आँखों पर .

फिर घड़ी मुश्किल की आएगी .

बात थोड़ी बिगड़ सी जाएगी .

हम दोनो मे झगड़े होंगे .

कुछ छोटे कुछ तगड़े होंगे .

हम दोनो रूठ ही जाएँगे .

पर बच्‍चे हमे मनाएँगे .

हम अपनी ग़लती मानेंगे .

मन मे कुछ और ही ठानेंगे .

जीवन है चलता जाएगा .

सूरज एक दिन ढल जाएगा .

तूफ़ान गरजता आएगा .

सुख की गठरी बिखराएगा .

मस्तिष्क मेरा बौराएगा .

तुम मुझ्को बात सूनाओगी .

बच्चों की नींद उड़ाओगी .

मैं चीज़ें घर भर फेकुंगा .

बच्चों को रोता देखूँगा .

अहंकार तुम्हें खा जाएगा .

क्रोध मुझमे आजायेगा .

सारे सपने हम तोड़ेंगे .

कस्में वादें सब छोड़ेंगे .

बच्चों के आँसू फूटेंगे .

वो बचपन से ही रूथेंगे .

मैं अपनी शान दिखाऊंगा .

मेरे उपकार गिनाऊंगा .

तुम अपनी लाज बचाओगी .

था उपकार ना फ़र्ज़ जताओगी .

वह प्रेम का धागा टूटेगा .

यह हाथ फिर तुमपर छूटेगा .

तुम भी आकर लड़ जाओगी .

हद छोड़ आगे बढ़ जाओगी .

बच्चे बिच में आएंगे .

चाहकर कुछ ना कर पाएंगे .

मर्दांगी मेरी जागेगी .

निर्दयता सर चढ़ नाचेगी .

तुम मुझको खूब ललकारोगी .

मैं दस तुम दो तो मारोगी .

मैं तुमको फिर धकेलूंगा .

अंदर के दुःख को झेलूंगा .

तुम घर से बाहर चल दोगी .

मेरी करनी का फल दोगी .

बच्चे तुमको जा रोकेंगे .

मेरे शब्द उनको टोकेंगे .

वोह डर कर हाथ छोड़ेंगे .

खुशियों से अपना मुह मोड़ेंगे .

मेरे मन में बहुत सा दुःख होगा .

पर बोलने के लिए न मुख होगा .

मैं तुमको याद करूँगा हर पल.

अहंकार लेगा मेरा मन छल .

मेरा घर अब न घर होगा .

एक चिड़िया होगी ना पर होगा .

दुःख की बदरी छायी होगी .

क्रोध की गहरी खाई होगी .

दो आंखे मुझको देखेंगी .

मेरे ज़ख्मों को सेकेंगी .

ना माँ का सुख दे पाउँगा .

बाप होना भी भूल जाऊंगा .

बच्चे बचपन को भूलेंगे .

उदासी की गोद में झूलेंगे .

कागज़ और एक कलम होगी .

हस्ताक्षर उसपर तुम दोगी .

रिस्ते नहीं परिवार भी टूटेंगे .

एक नहीं चार भाग्य फूटेंगे .

उम्र पूरी हो जाएगी .

बच्चों से दूरी हो जायेगी .

हम दोनों अलग मर जायेंगे .

पन्नों को दीमक खा जायेंगे .

मेरी प्राण प्रिये एक वादा दे .

दुःख ना सुख चाहे आधा दे .

सेहरा जब सज के आएगा .

जब मंत्र पढ़ा जायेगा .

एक फेरा हम ज्यादा लेंगे .

एक बात का हम वादा देंगे .

चाहे आये तूफ़ान कई .

हम देंगे साथ रहेंगे वहीं .

झगड़ों में कभी ना छूटेंगे .

इस कदर कभी ना रूठेंगे .

हम जिस्म दो, चार जान होंगे .

तुम पर अर्पण मेरे प्राण होंगे .

हम दोनों बिन दूजे के आधे है .

ये ज़िन्दगी से जुड़े वादे है .

बहुत कहा मैंने तुम जानती हो .

मुझको अच्छे से पहचानती हो .

इससे मान कर ना चलना एक रस्म .

ये आंठवा फेरा है एक कसम .

ये आंठवा फेरा है एक कसम