एक घर होगा एक गाड़ी .
आँगन मे एक दुलारी .
आधा आधा जुड़ जाएँगे .
एक दुनिया नई बसाएँगे .
लेंगे हम चल कर साथ कदम .
दुख दर्द कर अग्नी मे भस्म .
एक खुशी भरा जीवन होगा .
सुख ज़्यादा दुख थोड़ा कम होगा .
कुछ साल चलेगा घर अपना .
तुम होगी इन सर आँखों पर .
फिर घड़ी मुश्किल की आएगी .
बात थोड़ी बिगड़ सी जाएगी .
हम दोनो मे झगड़े होंगे .
कुछ छोटे कुछ तगड़े होंगे .
हम दोनो रूठ ही जाएँगे .
पर बच्चे हमे मनाएँगे .
हम अपनी ग़लती मानेंगे .
मन मे कुछ और ही ठानेंगे .
जीवन है चलता जाएगा .
सूरज एक दिन ढल जाएगा .
तूफ़ान गरजता आएगा .
सुख की गठरी बिखराएगा .
मस्तिष्क मेरा बौराएगा .
तुम मुझ्को बात सूनाओगी .
बच्चों की नींद उड़ाओगी .
मैं चीज़ें घर भर फेकुंगा .
बच्चों को रोता देखूँगा .
अहंकार तुम्हें खा जाएगा .
क्रोध मुझमे आजायेगा .
सारे सपने हम तोड़ेंगे .
कस्में वादें सब छोड़ेंगे .
बच्चों के आँसू फूटेंगे .
वो बचपन से ही रूथेंगे .
मैं अपनी शान दिखाऊंगा .
मेरे उपकार गिनाऊंगा .
तुम अपनी लाज बचाओगी .
था उपकार ना फ़र्ज़ जताओगी .
वह प्रेम का धागा टूटेगा .
यह हाथ फिर तुमपर छूटेगा .
तुम भी आकर लड़ जाओगी .
हद छोड़ आगे बढ़ जाओगी .
बच्चे बिच में आएंगे .
चाहकर कुछ ना कर पाएंगे .
मर्दांगी मेरी जागेगी .
निर्दयता सर चढ़ नाचेगी .
तुम मुझको खूब ललकारोगी .
मैं दस तुम दो तो मारोगी .
मैं तुमको फिर धकेलूंगा .
अंदर के दुःख को झेलूंगा .
तुम घर से बाहर चल दोगी .
मेरी करनी का फल दोगी .
बच्चे तुमको जा रोकेंगे .
मेरे शब्द उनको टोकेंगे .
वोह डर कर हाथ छोड़ेंगे .
खुशियों से अपना मुह मोड़ेंगे .
मेरे मन में बहुत सा दुःख होगा .
पर बोलने के लिए न मुख होगा .
मैं तुमको याद करूँगा हर पल.
अहंकार लेगा मेरा मन छल .
मेरा घर अब न घर होगा .
एक चिड़िया होगी ना पर होगा .
दुःख की बदरी छायी होगी .
क्रोध की गहरी खाई होगी .
दो आंखे मुझको देखेंगी .
मेरे ज़ख्मों को सेकेंगी .
ना माँ का सुख दे पाउँगा .
बाप होना भी भूल जाऊंगा .
बच्चे बचपन को भूलेंगे .
उदासी की गोद में झूलेंगे .
कागज़ और एक कलम होगी .
हस्ताक्षर उसपर तुम दोगी .
रिस्ते नहीं परिवार भी टूटेंगे .
एक नहीं चार भाग्य फूटेंगे .
उम्र पूरी हो जाएगी .
बच्चों से दूरी हो जायेगी .
हम दोनों अलग मर जायेंगे .
पन्नों को दीमक खा जायेंगे .
मेरी प्राण प्रिये एक वादा दे .
दुःख ना सुख चाहे आधा दे .
सेहरा जब सज के आएगा .
जब मंत्र पढ़ा जायेगा .
एक फेरा हम ज्यादा लेंगे .
एक बात का हम वादा देंगे .
चाहे आये तूफ़ान कई .
हम देंगे साथ रहेंगे वहीं .
झगड़ों में कभी ना छूटेंगे .
इस कदर कभी ना रूठेंगे .
हम जिस्म दो, चार जान होंगे .
तुम पर अर्पण मेरे प्राण होंगे .
हम दोनों बिन दूजे के आधे है .
ये ज़िन्दगी से जुड़े वादे है .
बहुत कहा मैंने तुम जानती हो .
मुझको अच्छे से पहचानती हो .
इससे मान कर ना चलना एक रस्म .
ये आंठवा फेरा है एक कसम .
ये आंठवा फेरा है एक कसम