दिन भर घूमता रहा इन दिल की गलियों में।
दर-दर उसे ढूंढता रहा
एक झलक दिख जाए बस वह कह दे कि वह मेरा हुआ
दिल लगता है खाली सा
हुआ ना मुझसे प्यार कभी
रहता हूं मैं चुप सा
दिल में कभी न घंटी बजा
न बजा शहनाई का सुर
लगता है मेरे सीने पे
नहीं देखा है वह हसीना मु़ड़
रोता रहा मैं रात भर
दुख का बोझ उठाता रहा
वह वापस न आई
कहां गई?वह कहां गई?
जब-जब लगता था होगा इस बार
चला गया वह हसीना छोड़कर
खाली सा बंजर मन मेरा
अब कोई तो भरो जीवन मेरा
लिखता रहा मैं गम का सागर
देखा न कोई भी मेरा कहर
कब बरसेगा मौसम हसीनों सा
दिल पिघला कोई तो आ
आएगा वह दिन भी कब
जिस दिन होगा हाथों में हाथ
मिटेगा सारा गम मेरा
लिखूंगा नया सफर एक साथ
वह भीनी भीनी बालों की खुशबू
वह चमकीली आंखें
आहा क्या मस्त लगती थी
सूरज उगने से पहले
सफर खूबसूरत थी
दिन भी ढलता जा रहा
वह आएगी यह सोच कर
मैं भी कहीं पर बैठा रहा
दिन और रात का बोझ संभालू
कहां रखूं मेरा सपना यह
था देखता मैं गैरों सा
उसको चुपके छूपके से
हुआ ना मिलन वह आई नहीं
कहां गई पता भी नहीं
लिखे जो खत उसे मैंने
उसको वह मिला ही नहीं
बैठा रहा मैं रात भर
दिल बिखराए उसके आंखों पर
सितारा छुपा बादल के पीछे
हुआ अंधेरा यहां नीचे
उसकी याद में कितना लिखूं
कितना भरू में स्याही और
माना मैंने गलती की थी
पर एक मौका मिलेगा क्या और?
मेरे यह गीत सुनलो सभी
हसता मैं भी था कभी
लिखूंगा अब से कहानियां
अपने ख्यालों से रंगोलियां।