ख़ूबसूरत थे
एक अरसे की दौड़ धूप के बाद
फुर्सत की धूप में
वो चार दिन
ख़ूबसूरत थे
ढेरों उतार चढाव के बाद
राहत भरी मुस्कान में
वो चार दिन
ख़ूबसूरत थे
किराये के मकान के बाद
अपने घर के आँगन में
वो चार दिन
ख़ूबसूरत थे
तन्हाई के लम्हों के बाद
परिवार की छाँव में
वो चार दिन
ख़ूबसूरत थे
घर आने की ख़ुशी, और
जाने के गम के बीच में
वो चार दिन