वो चार दिन- Dheeraj Joshi

ख़ूबसूरत थे

एक अरसे की दौड़ धूप के बाद

फुर्सत की धूप में

वो चार दिन

ख़ूबसूरत थे

ढेरों उतार चढाव के बाद

राहत भरी मुस्कान में

वो चार दिन

ख़ूबसूरत थे

किराये के मकान के बाद

अपने घर के आँगन में

वो चार दिन

ख़ूबसूरत थे

तन्हाई के लम्हों के बाद

परिवार की छाँव में

वो चार दिन

ख़ूबसूरत थे

घर आने की ख़ुशी, और

जाने के गम के बीच में

वो चार दिन