याद - Divya Patel

पहुंच गई उस मंजिल पर , जिस पर कोई ठिकाना नहीं था ।

सोचा तो हमने बहुत , मगर वापिस नहीं आना था ।

याद आई उसकी जो मुझसे , एहतराम किया करता था।

कद्र थी मुझे उसकी क्योंकि कभी न कभी मुझे उससे दूर जाना ही था।

दिल कहता था मोहब्बत करो , मन कहता था दूर रहो,

गुम सी हो गई थी उस दुनिया में क्योंकि वापिस वहीं आना था।

ऐसा नहीं है कि जरा भी इश्क नहीं था मुझे ,

वरना हमें कहां किसी के बारे में इतना सोचना था।

मैं थी अपनी ख्वाबों में सोचने वाली,

और वो अपने ख्वाबों में लाने वाला था।

आखिर आज याद आ ही गई उसकी ,

जिसे कभी मुझे अपने सपनों में सजाना था।।

धन्यवाद ,😊