कृष्ण - Harsh Gangwani

कृष्ण –कृष्ण कहते कहते कृष्ण के ही हो गाए

बासुरी का जादू था कुछ ऐसा की उसी में हम खो गए

नाम रंग में रंगे कुछ ऐसे माया सारी भूल गए कृष्ण– कृष्ण कहते कहते कृष्ण के हम हो गाए मुसकान जिसकी मोह ले सबको त्रिलोकनाथ वो बृजवासी है

पल भर में भक्तो की उसने हरली सारी उदासी है सखी द्रोपदी को जिसने नारी का मान था भेट दिया सम्पूर्ण धरातल को जिसने गीता का ज्ञान फिर दान किया राधा नाम में था कुछ ऐसा की मोहन भी मोहित हो गाए कृष्ण –कृष्ण कहते कहते कृष्ण के हम हो गाए