समानता- Jyoti Lakhera

This is an ode to the inner voice of every woman, which I humbly tried to condense into words..

"समानता" she deserves to be an equal if not more!

मैं हूं , बस मुझे मैं ही आंको

ना दो मुझको कोई पदवी आसमानी

मैं मैं हूं मुझे मैं से ही जानो

ना इसकी ना उसकी मैं मेरी कहानी

कहानी का लेखन शीर्षक भी मैं ही

मेरा निर्णय जो भी, हो मेरी ज़ुबानी

मैं मैं हूं मुझे मैं ही रहने दो बस तुम

ना मांगू संरक्षण ना प्रतिपालन की मारी

मुझ में सारी शक्ति मुझी से है शक्ति

मैं ही शक्ति की मानव झलक अवतारी

बस इतना है क्रोध, इतना सा अनुरोध

मैं नहीं हूं किसी रक्षण की व्याकुल

मैं खाली नहीं हूं पड़ी संपत्ति

की हो जाए कोई लाभ जिससे तुम्हारा

यू तो मैं हूं हर आंकलन में ही बेहतर

पर इतना करो कि समझ लो बराबर

बस उतनी ही इज्जत उतनी सी ही ज़रूरत

मनुष्य ही समझो करो इतनी ज़हमत

मैं मैं हूं ,बस मुझे मैं ही आँको

क्रोध अनुरोध याचिका जो भी मानो!

~ ज्योति लखेरा