छुट्टियां- Jyoti Singh

बीती छुट्टियां,

मैंने अपने घर पर बितायीं

हर बार,

जाता हूं,

सबके लिए कुछ - न - कुछ लेकर

कपड़े, खिलौने, मिठाई

और एक उम्मीद,

दोबारा फिर से घर लौटकर आने की

हर बार,

लगता है,

जैसे कितना कुछ बदल गया है

या फिर,

जैसे कुछ भी नहीं बदला

मेरे पुराने घर में,

कुछ नई कुर्सियां आ गई हैं

और कुछ नए बर्तन भी

मगर अब भी,

एक कुर्सी है,

जिस पर बैठ कर

कुछ वापस से ज़िंदा हो जाता है

एक थाली है,

जो घिस - घिस कर,

कुछ पुरानी हो चली है

पर अब भी खाने का स्वाद,

उसमें खाकर ही आता है

हर बार,

वापस जाते हुए

बहुत कुछ साथ ले जाता हूं

टिफिन भर कर सब्ज़ी,

अख़बार में लिपटी हुई पूरियां,

कुछ ताज़ी - बासी यादें

और छोड़ जाता हूं

अपना कुछ हिस्सा,

यहीं पर,

फिर से वापस ले जाने के लिए,

अगली छुट्टियों में ।।