कल्पना की कलम से
कविता बनाकर लाया हूँ ।
जरा ख्यालों की खिड़की तो खोलो!
ख्वाबों की खुशबू से मन को महकाने आया हूँ ।।
साहित्य के सरोवर से
काव्य रस का घडा़ भरकर लाया हूँ ।
दिल खोल के पी लो!
शब्द रूपी हर बूंद को चुन चुन कर लाया हूँ ।।
गीत, गजलों की दुनिया से
दिल को तसल्ली दे वो तराना लाया हूँ ।
ज़रा हाल दिलों का बतलाना!
शरमाकर, मुस्कुराना सिखाने आया हूँ ।।
बातों, मुलाकातों के शहर से
मीठी यादों की हिचकियाँ लाया हूँ ।
राज़ दिलों के बतलाना!
संबंधों को चंदन सी खुशबू देने आया हूँ ।।
जीवन के उपवन से
शब्द सुमन से लाया हूँ ।
प्रेम पराग चुन लेना!
शहद से मीठे बोल तोल तोलकर लाया हूँ ।।
अक्षरों की वाटिका से
महकते लब्जों को लाया हूँ ।
फूलों की तरह मुस्कुराना!
गीतों की थाली में सजाकर लाया हूँ ।।
मीठी वाणी की झील से
मीठे बोल से झरने लाया हूँ ।
संगीत के गहरे पानी में नहाओ!
बातों की बारिश में रिमझिम बरसने आया हूँ ।।
स्वरचित- नंदकिशोर
बकानी खुर्द, झालावाड़(राज.)