मैं धरती ठहरी हुई सी
तू अंबर उड़ता हुआ सा।
दोनो एक दूसरे की चाहत में पागल ।
आसमां समाना चाहे धरती के आंचल में ,
धरती उड़ना चाहे आसमां के प्यार में।
पर!!!
प्यार बेशुमार होते हुए,
दोनो का मिलना असंभव ।
तपना होगा उनको इस तपिश में ,
जलना होगा उनको इस कशिश में।
दूर होते हुए भी,
आसमां का प्यार बरसता है ,
धरती के ऊपर बारिश बन कर ।
धरती समा लेती है उसका प्यार ,
अपने सीने में धड़कन बनाकर ।
एक चाहत दोनो की!
कभी तो मिलेंगे?
कभी तो एक होगे ? उस क्षितिज की तरह।
जहां दोनों एक दूसरे में समाए नजर आते है ।
- 💕 प्रीत दिल से 💕