*चोरी*
म्यूजियम, बैंक या किसी शानदार पार्टी से
कड़ी सुरक्षा के बीच
हीरा चोरी की रोमांचक खबर
हर कोई सुनता है ठिठक कर
हर कालखण्ड में धूम
मची रहती है ऐसी फिल्मों की।
पर मैं चाहती हूँ
दुनिया की तमाम लाइब्रेरियों से
चोरी हों किताबें ।
गली के शोहदों के कारण
नही जा पा रही
शाम की लाइब्रेरी में
मंजुला, नीमा, अरुणिमा
चोरी की गयी कुछ किताबें
भिजवा दी जाएं उनके घर
ताकि उनका घर बन जाए दुनिया।
कुछ किताबें अनाथालयों,
वृद्धाश्रमों की चौखट पर भी
छोड़ दी जाएं चुपचाप ,
ताकि वहाँ बीसियों बार पढ़ी गयी
जर्जर किताबें मुक्ति पा सकें।
कुछ किताबें भिजवा दी जाएं
जेल के भीतर
ताकि सजायाफ्ता कैदी सोच सकें
इतनी भी बुरी नही है ये दुनिया।
कुछ किताबें गाँवों की
स्कूल लाइब्रेरियों में भिजवाई जाएं
आप जानते ही हैं
उन्हें जगह भी आवंटित है और रैक भी।
कुछ किताबों को पहाड़ ,खेत में भी
छितरा देना चाहिए
गडरिये के किस्से खत्म होने को हैं
और खेतों की मुंडेर पर बैठे
बच्चों की टोली को चाहिए
अपने सपनों के लिए कोई नई कहानी।
कुछ किताबें उस दर पर क्यों न पहुंचे
जहाँ आते हैं सिर्फ रूप के ग्राहक।
कुछ किताबों को ठेले पर,
गलियों में ले जाकर देनी चाहिए हाँक
ताकि लोग जान- मान सकें
किताब को रोजमर्रा की
सबसे ज़रूरी चीज।
ये हीरे जैसी किताबें कब तक प्रतीक्षा करेंगी
लाइब्रेरियों में हमारी
इनके पास पंख हैं
इन्हें उड़ कर जाना चाहिए हर जगह ।
©सोनू यशराज