Intezaar- Shruti Gupta

इंतिज़ार

कभी कभी मंज़िल इंतिज़ार कराती है

हमसे मिलने मे थोड़ा ज्यादा वक्त लगाती है

इस इंतिज़ार के क्षण मे खुद से भरोसा खोता है

सपना अधूरा रहने का डर सा होता है

कभी आखें रोती है, कभी हिम्मत टूट जाती है

पर फिर खुद को खड़ा करने की बारी आती है

इंतिज़ार के क्षण मे थोड़ा ज्यादा लड़

ईश्वर तेरे साथ है इस बात पर भरोसा कर

कभी कभी वक्त सही नही होता है

क्योंकि अपने राही का इंतिज़ार तो मंज़िल को भी होता है