सन्देश | Adwait Khare

परिवारों को साथ में रख कर, घरों को रिश्तों से जकडे हुए कैदखाने दे गया।

बस बदले मे कुछ कमजोर जानें ले गया।।

मदद को उठते हाथ और ईश्वर को पुकारने वाली जुबाने दे गया।

बस बदले मे कुछ कमजोर जानें ले गया।।

प्रकृति को शुद्ध हवा, साफ पानी, स्वच्छ वातावरण, के नजराने दे गया।

बस बदले मे कुछ कमजोर जानें ले गया।।

वो साथ में समय बिताना, पुराने खेल खेलना, बचपन के अनमोल ख़ज़ाने दे गया।

बस बदले मे कुछ कमजोर जानें ले गया।।

अपनों को अपनों से मिलवाया, स्वंय ने स्वंय को जाना, सबको नई पहचानें दे गया।

बस बदले मे कुछ कमजोर जानें ले गया।।

क्या अमीर और क्या गरीब क्या छोटा क्या बड़ा, सबको बराबर मापने के पैमाने दे गया।

बस बदले मे कुछ कमजोर जानें ले गया।।

बच्चों का साथ, रामायण का प्रसारण, न जानें कितने बुजुर्गों को मुस्कानें दे गया।

बस बदले मे कुछ कमजोर जानें ले ।।

मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरद्वारे तो सब बन्द हो गये, पर ईश्वर को सबके दिलों में ठिकाने दे गया।

बस बदले मे कुछ कमजोर जानें ले गया।।

शाकाहारी भोजन, कसरत करना, अच्छी आदतें और बंद मैखाने दे गया।

बस बदले मे कुछ कमजोर जानें ले गया।।

मानवता को बचाने के लिए, कुर्बानी देने वाले डाॅक्टर, पुलिसकर्मी, सफाईकर्मी जैसे दीवाने दे गया।

बस बदले मे कुछ कमजोर जानें ले गया।।

प्रकृति तो अपना संतुलन बना ही लेगी, प्रभु का यही संदेश था, जो वो कोरोना के बहाने दे गया।।