चेहरे पे मुस्कान लिए,
दिल में सेवा का भाव लिए,
निस्वार्थ काम करती हो तुम,
खुदा का भेजा फरिश्ता हो ,
उत्तम स्वास्थ का उपहार देती हो तुम।
बिना किसी भेदभाव के मरीजों का खयाल रखती हो तुम,
जनमानस के कल्याण के लिए निरंतर कार्य करती हो तुम।
कठिन परिस्थिति मे दिखाती हो शुजभूज के तरीके,
नर्सेज की महानता को भला कोई कैसे कम आंके।
सेवा कर्म हमारा है यही बतलाती जाती हो,
वक्त के साथ खुद को तो बदलती हो ,
नयी टेक्नोलॉजी के साथ कदम से कदम भी मिलाती हो।
कभी दीदी तो कभी सिस्टरजी, कभी ब्रदरजी तो कभी मास्टरजी,
ना जाने कितने रूप तुम्हारे है,
चाहे जिस भी नाम से पुकारो,
नर्सेज सदा खड़ी अपना कर्तव्य निभाने है।
नर्सेज सदा खड़ी अपना कर्तव्य निभाने है।।
कोरोना की इस विपदा मे जग ने तुम्हें खूब सराहा है,
निजी सुख को त्याग कर देश के प्रति प्रेम तुम्हारा निराला है।
इंसानियत की एक नयी मिसाल हो,
नर्स तुम महान हो,
नर्स तुम महान हो।