यह मेरे दिल का अफसाना है
जिसे मैंने शब्दों में बांधा है
यह मेरी ही तो आजादी है
जिसे मैंने मेरे अपनों से मांगा है ।।
कहने को तो आजाद हूं मैं -२
पर सच तो ये है कि
इस आजाद भारत की गुलाम हूं मैं
इस आजाद भारत की गुलाम हूं मैं।।
क्यों मेरी आजादी डरती है -२
खाली सड़कों पर घूमने से,
क्यों मेरी आजादी छिपती है-२
लड़के - लड़की के अंतर से।।
क्यों मुझे ही मर्यादाओं और रेखाओं की दुहाई दी जाती है ?? -२
क्यों औरों के लिए मेरी ही आजादी दफन की जाती है ?? -२
पूछती हूं मैं-२
इस देश की संकीर्ण मानसिकता से ,
इस समाज के ठेकेदारों से ,
इन सभ्य परिवारों से ,
क्या सच में आजाद हूं मैं ?? .....…..
क्या इस आजाद भारत की तस्वीर हूं मैं ??......…
गर तुम इसे ही आजादी मानते हो,
तो गुलाम ही ठीक हूं मैं
तो गुलाम ही ठीक हूं मैं।।