जम के बरस जाना बारिश,
रंजिशें को अब तो खत्म कर जाना बारिश ,
बेहिसाब हुए हैं यार के दीदार पर चर्चे,
अब अपनो के दिल का मैल भी साफ कर जाना बारिश।
तेरा दूर से बरसना ,
मेरे तक पहुंच जाना ,
और मुझे फिर भी भिगो जाना ,
कभी आंखो से बहते हुए आंसुओं को भी पोंछ जाना बारिश।
तेरी तारीफ करूँ मैं,
जब भी तू बेहिसाब बरसती है ,
लेकिन जब भी बरसती है,
अपनी मर्ज़ी से ही बरसती है ,
जब भी कभी मेरे शहर में बरसे तू ,
मेरी भी मर्ज़ी से तू बरस जाना बारिश।