ज़िन्दगी की हकीकत | Lovepreet Kaur

विषय - ज़िन्दगी की हकीकत

हकीकत तो यह है कि वक्त बुरा हो या अच्छा अक्सर चलता ही रहता है,

इंसान गरीब हो या अमीर अक्सर हालातों का शिकार बनता ही रहता है ,

बुरे वक्त में तो लोग पत्थर को भी भगवान मान लेते है ,

और अच्छे वक्त में अपनी किस्मत लिखने वाले को ही नज़र-अन्दाज़ कर देते है ;

हकीकत तो यह है की अपने अपने नहीं रहते जब वो गैरो जैसा काम कर जाते है,

और गैर गैर नहीं रहते जब वो अपनो जैसा साथ दे जाते हैं ,

किसी भी रिश्ते की अहमियत दिल की तारो से होती है,

यू ही नहीं एक को दुख हो तो दूसरे के दर्द होती है;

हकीकत तो यह है की दुनिया बहुत रंगीन है पर जिंदगी किसी की भी रंगीन नहीं,

दुनिया में क़ाफ़ियों की सूरत खूबसूरत है पर सीरत किसी की भी खूबसूरत नहीं;

दुनिया हसीनों से भरी है पर दिल किसी का हसीन नहीं,

यहाँ वक़्त देखने के लिए सब घड़ी जरूर लगाते है पर एक-दूसरे के लिए किसी के पास वक्त नहीं;

हकीकत तो यह है कि अपनो को खोने का डर अक्सर रुला देता है ,

समुंदर जैसी आंखों से मोती-जैसे अथ्रु बहा देता है ,

अनमोल होते है प्यार के रिश्ते,

क्योंकि अपने होते हैं जैसे फरिश्ते ;

हकीकत तो यह है की अंजान लोग भी कभी कभी हमारा परिवार बन जाते है ,

क्योंकि अपने से जायदा वो हमें प्यार दे जाते है,

अज़ीब सी होती है अपनेपन की परिभाषा ,

रिश्ते खून से होते हैं और अपनापन वहाँ जहाँ हो अभिलाषा;

हकीकत तो यह है की कांच के टुकड़ों से इतनी चुबन नहीं होती,

जितनी अपनो के नुकीले लफ़्ज़ो से होती है ,

सच कहूँ तो मौत इतनी दर्दनाक नहीं होती,

जितनी दर्दनाक अपनो के पास हो के भी उनसे दूरी होती है ;

हकीकत तो यह है की ज़माना काफी बदल चुका है जनाब,

आज कल तो लोगो की नियत में भी मिलावत है ,

इंसान का अभिमान ही उसकी रुकवत है ,

इस ज़हान में सब सीरत छोड़ अपनी सूरत की करते सजावत है ;

हकीकत तो यह है की सच कहू तो इस दुनिया में लोग हुसन की दौलत पर मरते हैं,

सच्ची मोहब्बत कहाँ पाओगे,

सच्ची सीरत का जमाना ना रहा,

ढूँढते ढूँढते तुम दुनिया को अलविदा कह जाओगे;

हकीकत तो यह है की गैरो से हारो तो गुमान जलता है ,

अपनो से हारो तो सुकून मिलता है,

पर हार कर तो हमेशा कुछ सीखने को मिलता है,

और हमेशा जीत कर इंसान में खमंड भरता है ,

हार जीत की ये कहानी तो पूरी ज़िन्दगी चलती है,

उस भगवान के विचारो के आगे भला किसकी चलती है ,

जिंदगी की कहानी में अपना सिर्फ इतना-सा दस्तूर है ,

कोशिशों के दम पर जिंदगी को रंगीन बनाना जैसा अब अपना एक फितूर है ,

ना-ज़ाने इस्लिया शायद अब

"खुद से हारने लगे है रोज,

एक दिन सब से जीतने के लिए".............