रिश्ते काम के या फिर नाम के | Nadeem Ahmad

THE FOLLOWING POEM WAS SELECTED IN WINGWORD POETRY PRIZE 2023 LONGLIST.

रिश्ते कभी गुलाबों की तरह खिलते हैं

रिश्ते कभी ज़ख्मों की तरह रिसते हैं

रिश्ते कभी ख़ुशी देते हैं

रिश्ते कभी ग़म देते हैं

रिश्ते कभी हंसाते हैं

रिश्ते कभी रुलाते हैं

रिश्ते कभी फूल बनते हैं

रिश्ते कभी कांटे हो जाते हैं

रिश्तों से कभी शहनाई होती है

रिश्तों से कभी तन्हाई होती है

रिश्तों से कोई हैवान होता है

रिश्तों से कोई इंसान होता है

रिश्ते कभी चलते रहते हैं

रिश्ते कभी ठहर जाते हैं

रिश्तों से ज़िन्दगी संवर जाती है

रिश्तों से दुनिया बिखर जाती है

रिश्तों से अपने मिल जाते हैं

रिश्तों से अपने बिछड़ जाते हैं

रिश्तों मैं कभी अहम् होता है

रिश्तों में कभी रहम होता है

रिश्तों मैं कभी गुरुर होता है

रिश्तों में कभी सुरूर होता है

रिश्तों में कभी अना होती है

रिश्तों में कभी सना होती है

रिश्ते कभी निभाए जाते हैं

रिश्ते कभी ठुकराए जाते हैं

रिश्ते कभी लबक देते हैं

रिश्ते कभी सबक़ देते हैं

रिश्ते कभी साहिल होते हैं

रिश्ते कभी राहिल होते हैं

रिश्ते कभी ज़िंदगी हैं

रिश्ते कभी बंदगी हैं

रिश्ते कई रंग के होते हैं

रिश्ते कई ढंग के होते हैं

रिश्ते कभी खून से निभाए जाते हैं

रिश्ते कभी फ़ोन से निभाए जाते हैं

रिश्ते नदीम अब सिर्फ एक फरेब है

इनको बुनने में शामिल हर एक है

रिश्ते नदीम अब सिर्फ एक छलावा है

ज़िंदगी मैं बहुत कुछ इसके अलावा है

रिश्ते नदीम अब किसकी मर्ज़ी है

रिश्ते अब सबकी ख़ुदग़र्ज़ी है

अना: अभिमान, सना: कला, लबक: दक्षता, साहिल: किनारा, राहिल: पथ