न जाने क्यों ये दुनिया रंग बदलती है..
लाल रंग का चूनर ओढ़े ।
प्रेम की माला जपती है ।।
उसी लाल चूनर की ओढ़ में ।
पीछे खंजर घोपती है ।।
न जाने क्यों ये दुनिया इतने रंग बदलती है..
सफेद रंग का नकाब पहने ।
सच्चाई की राह दिखाती है ।।
फिर उसी सफेद रंग के कपड़े से।
मां बहनों की सुहाग उजाड़ती है ।।
न जाने क्यों ये दुनिया इतने रंग बदलती है..
पीले फूलों की खुशबू की आड़ में ।
दोस्ती के झूठे वादे करवाती है।।
फिर वही वादे एक दिन ।
पीले पत्तों के समान झड़ जाती है।।
न जाने क्यों ये दुनिया इतने रंग बदलती है..
काले रंग की मिसाल देकर ।
हर रंग का भेद छुपाती है।।
गलत कर्मों का फल न देकर ।
एक काला धब्बा बन कर रह जाती है।।
प्रियंका बिष्ट
न जाने क्यों ये दुनिया रंग बदलती है..
लाल रंग का चूनर ओढ़े ।
प्रेम की माला जपती है ।।
उसी लाल चूनर की ओढ़ में ।
पीछे खंजर घोपती है ।।
न जाने क्यों ये दुनिया इतने रंग बदलती है..
सफेद रंग का नकाब पहने ।
सच्चाई की राह दिखाती है ।।
फिर उसी सफेद रंग के कपड़े से।
मां बहनों की सुहाग उजाड़ती है ।।
न जाने क्यों ये दुनिया इतने रंग बदलती है..
पीले फूलों की खुशबू की आड़ में ।
दोस्ती के झूठे वादे करवाती है।।
फिर वही वादे एक दिन ।
पीले पत्तों के समान झड़ जाती है।।
न जाने क्यों ये दुनिया इतने रंग बदलती है..
काले रंग की मिसाल देकर ।
हर रंग का भेद छुपाती है।।
गलत कर्मों का फल न देकर ।
एक काला धब्बा बन कर रह जाती है।।