खौफ ए जिल्लत से परेशान से रहने लगे
लम्हे अब पशेमान लगने लगे
आंखे भी कही और देखने लगी हैं
जुबान भी कुछ और बोलने लगीं है
बहुत मांगा जहां से साथ तुम्हारा
इरादे भी पर अब मरने लगे हैं
कहीं न मिले तुम्हे हाथ हमारा
खून से भरे यह दिखने लगे हैं
मारा है इनसे ख्वाईशों को अपनी
रुखसत ये जिंदगी अब करने लगे