बेटियाँ तो खामोशी में जीने को होती है | Sharon Rose Dass

THE FOLLOWING POEM WAS SELECTED IN WINGWORD POETRY PRIZE 2023 LONGLIST.

1. बेटियाँ तो खामोशी में,

जीने को होती है।

आसमान की तो छोड़ो

जमी भी नसीब नहीं' घेती है ।

2.माँ की -2 कोख में ही लिख दी जाती है, -2

पसंद न पसंद की इनकी कहानी।

या फिर माँ की कोख में खत्म की जाती है,

शुरू घेने से पहले [ इनकी जिंदगानी।] -2

3. छोटे -बड़े -2 भाई-बहनों की ज़रूरत घे पूरी, -2

अपनी हर ख्वाहिश को [ छुपा लेती है वो।] - 2

सिलसिला ये बचपन से अब तक है जारी, -2

बाद में लूँगी का [ बढ़ाना बनाती है वो ।] -3

4 जिन अपनो -2 की खातिर लगा देती है जीवन सारा, -2

कटाक्षों से उनके -2 बन जाता है जीवन घरा । -2

तब अहसास होता है उसे [कोई नहीं है तुम्हारा,] -2

बेटियाँ तो खामोशी में जीने को होती हैं।