जननी | Vivek Gulati

जीवन मिला तुझसे, जीना सिखाया तूने

राह से जब भी भटके, लक्ष्य दिखाया तूने।

प्यार का सागर थी तू, भर भर लुटाया तूने

तेरी कमी हर समय आज भी खलती है

अंधकार में तेरे आशीर्वाद की लौ जलती है।

भगवान तो कभी दिखे नहीं हमें

तुझमें उसका स्वरूप दिखा हमें।