नारी तू लिख अपनी नई कहानी - रीतिका गुप्ता

नारी तू लिख अपनी नई कहानी

सुनी थी जो अब तक,

भुला दें तू वो सब ,

एक नया इतिहास रच

अपनी ज़ुबानी,

नारी तू लिख अपनी नई कहानी ।

नहीं आएगा अब कोई भी शहज़ादा,

पूरा करने अपना कोई भी वादा,

तू अपने से कर अपने वादे,

बुलंद कर अपने इरादे,

सपनों को अपने तू ख़ुद कर पूरा,

तुझको अपनी ज़िम्मेदारी ख़ुद है उठानी,

नारी तू लिख अपनी नई कहानी ।

कुछ अपने रोकेंगे तेरा रास्ता,

रिश्तों का देंगे तुझे वास्ता ,

जकड़ कर बेड़ियों में तेरे पाँव

बनालेंगे तेरे सपनों को बंदी ,

तुझको मगर डरना नहीं है,

जो हित में है तेरे, करना वही है ,

तोड़ कर बंधन बेमानी,

तू बनजा एक दरिया तूफ़ानी,

नारी तू लिख अपनी नई कहानी।

वो कोशिश करेंगे तुझको डराने की,

किससे सुनाएँगे समाज के वहशी दरिंदों की ,

कुछ पल के लिए तेरा दिल भी जाएगा काँप,

डसने लगेगा आत्मसंदेह का साँप,

हिम्मत से करना उस विष का तू सामना,

जाल में उनके तू बिलकुल मत फ़सना,

अबला नहीं है ,तू है निडर सयानी,

नारी तू लिख अपनी नई कहानी ।

तेरे रिश्ते माँगेंगे तुझसे बलिदान,

ममता और मर्यादा लेंगे तेरा इम्तिहान,

देकर तुझको ग़लत उदाहरणों की शिक्षा,

दफ़ना देंगे धरती में लेकर तेरी अग्नि परीक्षा,

तू अनसुनी करदे ये बातें पुरानी

तुझको तो है नई गाथा रचानी,

नारी तू लिख अपनी नई कहानी ।

जो तू आज भी अगर झुक गई,

सुनकर रिश्तों की दुहाई जो तू अगर रुक गई ,

तो चलता रहेगा पुरानी कहानियों का सिलसिला,

जहाँ पुरुष होगा बलशाली,

और नारी एक बेचारी अबला।

कोख में ही होता रहेगा तेरा खून,

कैसे ख़त्म होगा ये बेटे का जुनून,

बलात्कार,एसिड अटैक, और दहेज से होता रहेगा तेरा शिकार ,

कैसे मिट पाएँगे ये सामाजिक विकार?

तू आज बस उठा ले ये बीड़ा,

अंत करनी है अब बस नारी की पीड़ा,

एक नई सोच,नए दृष्टिकोण से ये दुनिया है चलानी,

नारी तू लिख अपनी नईकहानी,

नारी तू लिख अपनी नई कहानी ,

अपनी ज़ुबानी ॥

रीतिका गुप्ता