शाम का ढलता सूरज बोला , कल फिर आऊंगा
जो वादे किए है , खुद से तुमने
उन्हें करोगे पूरा, या नहीं
ये देखने आऊंगा
हर रोज जो कल पे टाल देते हो जीना
हर रोज जो कल पे टाल देते हो जीना
कल जीओगे , या नहीं
ये देखने आऊंगा
जिन्हें शुकून है मिलता तुमसे
उन्हें गैरों से करीब बताओगे , या नहीं
ये देखने आऊंगा
मालूम होता है कुछ चाहते हो
वो मिला , या नहीं
ये देखने आऊंगा
शाम का ढलता सूरज बोला , कल फिर आऊंगा
तुम जिसे , ना जान सके
उसे कल जानोगे , या नहीं
तुम्हारे आयने से , पूछ जाऊंगा
शाम का ढलता सूरज बोला , कल फिर आऊंगा
शाम का ढलता सूरज बोला , कल फिर आऊंगा