उड़ना | Chahat Sharma

इस खुले आसमान में उड़ना।

तो मैं भी चाहती हूँ।

फिर क्यूँ पिंजरे में बंद

कर दी जाती हूँ।.....

हक मुझे भी है,

देश के लिए कुछ करने का.....2

फिर क्यूँ रोटी में लगा दी जाती हूँ,

उड़ना तो मैं भी चाहती हूँ.........।

ये मत करो, वो मत करो,

यहाँ मत जाओ, वहाँ मत जाओ,

क्यों रोकी- टोकी जाती हूँ,

इस खुले आसमान में,

उड़ना तो में भी चाहती हूँ.....।