लापता - Shruti Takshak

जी रहा था मै यू यहाँ

हर कड़ी मै बेपनाह

हर उम्मीदों के सागर में

मै हूँ मेरे लिए लापता

जी रहा हूँ मै यूँ यही

ना मुझे हैं कुछ पता

हैं हताशा जो मन में

मुझको खोती है हर जगह

हूँ समुद्र के तट में

सारी नदियों से मै जुदा

है कहानी ये मेरी

जिसमे मै गुमसुम खड़ा

भला इस जहान मे

क्यों मै मेरे लिए लापता