आज फिर रूठी सी है जिन्दगी
फिर से सूखी सी है जिन्दगी
बहुत कुछ है पास उसके
फिर भी टूटी सी है जिन्दगी|
जवाब मांगती रही सबसे,
अपने होने का एहसास मांगती रही सबसे
पर फिर भी छूटी सी है जिंदगी
इन रातों के अंधेरों में कहीं गुम सी है,
लगता है फिर से उन काले बादलों के बीच कहीं छुप सी गई है जिंदगी|
उम्मीद का कफन अोढ जीने चली है अपनी हर एक सांस ,
अरे, जरा सुनो तो, आज चमकदार मोती सी है जिंदगी
ना जाने कब इस उम्र को नजर लग जाए यह सोचकर थोड़ी सहमी सी है जिन्दगी
उम्र का क्या है वह तो एक अंक है,
यह जानकर चुलबुली सी है जिंदगी|
कभी बच्चों से लड़ती है तो कभी प्यार में पड़ती है
ऐसी है यह नटखट जिंदगी|
उम्र का तकाजा हो और साथ हो बुढ़ापे की लाठी,
लेकिन फिर भी वह सहारे को तरसती है जिंदगी|
पल भर जी कर कुछ एहसास में खो जाए
दिलों में अमर होकर यह दुनिया छोड़ जाए
आज जाना के कैसी है यह जिंदगी|