सुना है तजुर्बा बहुत है तुम्हें
लोगों का घर का परिवार का
और अधूरे प्यार का ॥
सुना है स्याही से खेलने का शौख है तुम्हें
किताबे चेहरे बहुत से पढ़े है तुमने
और उनके बारे में लिखने का भी शौख है
सुना है लिखना है तुम्हें
उन नए शहरो के बारे में
उन नए चेहरों के बारे में
ढूँढा है जिन्मे तुमने हर बार
तुम्हारा वो बिछड़ा यार?
और
सुना है डरती हो तुम
की कही ये श्वेत पन्ना दागी ना हो जाए
कहीं वो प्यार बैरागी ना हो जाए
कही वो अधूरा प्यार,लोग ,घर ,परिवार
स्याही से तुम्हें ना रंग जाए ?
लो अब तुम कुछ सुनो
तुम हो वो अदा जो एक ही बार आइ हो
तुम हो खूबसूरत ,तुम समय की रेत हो
अरे कैसे दागी करेगा कोई अपनी स्याही से तुम्हें
तुम तो खुद श्वेत हो