श्वेता- Sonali Chaudhary

सुना है तजुर्बा बहुत है तुम्हें

लोगों का घर का परिवार का

और अधूरे प्यार का ॥

सुना है स्याही से खेलने का शौख है तुम्हें

किताबे चेहरे बहुत से पढ़े है तुमने

और उनके बारे में लिखने का भी शौख है

सुना है लिखना है तुम्हें

उन नए शहरो के बारे में

उन नए चेहरों के बारे में

ढूँढा है जिन्मे तुमने हर बार

तुम्हारा वो बिछड़ा यार?

और

सुना है डरती हो तुम

की कही ये श्वेत पन्ना दागी ना हो जाए

कहीं वो प्यार बैरागी ना हो जाए

कही वो अधूरा प्यार,लोग ,घर ,परिवार

स्याही से तुम्हें ना रंग जाए ?

लो अब तुम कुछ सुनो

तुम हो वो अदा जो एक ही बार आइ हो

तुम हो खूबसूरत ,तुम समय की रेत हो

अरे कैसे दागी करेगा कोई अपनी स्याही से तुम्हें

तुम तो खुद श्वेत हो