Tum Bas Tum Ho | Amit Saraf

THE FOLLOWING POEM WAS SELECTED IN WINGWORD POETRY PRIZE 2023 LONGLIST.

I

तुम अलग नहीं, तुम बस तुम हो

उतने ही अलग, जितने हम सब

तुम और हम में हो फर्क़ ही क्यों

है जब, हम सब का, एक ही रब

तुम भी उस रब की ज़ुबान हो

तुम भी तो उस की जान हो

तुम सीना तान के रहा करो

तुम ख़ुद अपनी पहचान हो

क्यों माना तुम में है कुछ कम

क्यों घुट के जी रहे हो हर दम

'शायद कुछ ऐब मुझ में ही है',

ये सोच न करना कभी आंख नम

है हक़ सबको अपनी करने का

जिसपे दिल करे उसपे मरने का

जब बुरा किसी का किया नहीं

फिर बिंदास रह, क्यूँ डरने का

हक़ किसी भी राह पे चलने का

ख़ुद के सपनों को बदलने का

किसी और के कहे पे न जा के

मर्ज़ी की चाहत में जलने का

हर 'अलग' को दुनिया बस कोसती है

तुम्हारी खूबियों की उन्हें परवाह कहाँ

उन्हें खुश कभी कर पाओगे भी नहीं

भले उल्टे लटक जाओ तुम मेरी जाँ

करते रहो इबादत तुम प्यार की

किसी को भी उसे ना हराने दो

अपनी किस्मत तुम ख़ुद ही लिखो

उसमें खुशियों को ही बस आने दो

दो पल ही तो हैं हम सबके पास

बस प्यार का ये दरिया बहने दो

तुम दुनिया की चिंता छोड़ो

उसे जो कहना है कहने दो

II

और तुम जो इतना उनसे चिढ़ते हो

कभी सोचा भी है कि ये सही है क्या

बस मान लिया वो हैं गलत, पर क्यूँ

ये बात किसी ने कभी कही है क्या

तुम चाहो तो वो चाहत है लाज़मी

कोई और चाहे तो है कुछ और ही

थी चाहत उनकी भी सदियों से ये

बस किया किसी ने न कभी गौर ही

ये सही है प्यार और वो है गलत

बस माना तुमने कि है ये तौर ही

बदलो अपनी इस सोच को अब

देखो बदल गया अब तो दौर ही

क्या तुमने चुना था तुम हो जैसे

क्या जानते हो कि यूँ बने कैसे

गर नहीं तो क्या हक़ है तुमको

कि पूछो क्यूँ नहीं वो तुम जैसे

और अगर बनाया किसी और ने है

तो कुछ सोच कर जोड़े होंगे न तार

नफ़रत कुछ कम है क्या इस जहाँ में

जो तुम्हें प्यार से भी नफ़रत है यार

एहसास हम सब में एक ही है

हर दिल में है बस प्यार, बेशुमार

तुम अपना लो उनके प्यार को

हर पल लगाते होंगे वो गुहार

जो बीच खड़ी की हैं दीवारें

उन दीवारों को अब ढहने दो

जो जैसा है वैसे अपना लो

जो जैसा है वैसे रहने दो

न रहेगा कोई भी हमेशा यहाँ

हैं पास तुम्हारे भी दो ही पल

वो गुज़ारोगे ग़र अपना के उन्हें

तो हर पल लाएगा एक बेहतर कल

हर पल लाएगा एक बेहतर कल....