तन-मन | Kiran Sharma

THE FOLLOWING POEM WAS SELECTED IN WINGWORD POETRY PRIZE 2023 LONGLIST.

मखमली तन पर ख़ूबसूरत तानों-बानों का मलमल

कशीदाकारी से सजे हुए जाल से ढका मन l

सुरमई आँखों में सहेज कर रखा भावों का सैलाब

खनखनाती हँसी में भीगी सी आवाज़ l

पुकारा नही किसी को, न ही साथ माँगा

सफ़र की राहों पर चलना बदस्तूर जारी l

हौसलाअफजाई क्या करे कोई,

जहाँ के सितारे भी पीछे रह गए

मुकम्मल हो रही हैं मंशाएँ भी आहिस्ता-आहिस्ता

और मंजिलें-जहाँ पर रोशनाई हो गई

पर दिले आरज़ू है हमारी ll

ये लौ की तपन कायम हो

चारों ओर पुरसुकून आलम हो ll