नारी तू अबला नहीं | Nikita Gupta

नारी तू अबला नहीं, ना ही तू बेचारी है।

दुर्गा तू,लक्ष्मी तू, तू ही महाकाली है।।

जननी तू, करनी तू, तू ही दुष्टो की संघारनी।

ज्ञान के दीपक से जो सबका कल्याण करें तू ही वो वीणा धारिणी।।

खुद को पहचान, तू ना ही किसी के दया की मारी है।

खुद की शक्ति को जान, तू अकेले ही सब पर भारी है।।

तू शारदा, तू जगदंबा, तू ही नारायणी।

तू अन्नपूर्णा, तू गृहिणी, तू ही गंगा पावनी।।

किसने कहा, है तू किसी से भी कम।

उठ, चल दिखा दे सबको, है तुझमें कितना दम।। है तुझमें वो सामर्थ्य, है तुझमें वो ज्ञान।

लोगों की सोच बदले तू कर कुछ ऐसा काम।।

मत भूल, है तू वो वीरांगना जिसने अंग्रेजो को धूल चटाई थी।

अपने सम्मान के लिए, तू अग्निपरीक्षा भी पार कर आई थी।।

उठ विरोध कर, अन्याय को ना सह।

तू खुद में ही परिपूर्ण है, फिर किस बात का है तुझे भय।।

तू करुणा का सागर, तू ममतामई देवी है।

कर संकल्प फिर तुझे अग्निपरीक्षा कभी ना देनी है।।

मत भूल, नहीं है कुछ ऐसा इस ब्रह्मांड में, जो तू ना कर सके।

कुछ कर ऐसा, नारी है तू नारी, तू यह सब को गर्व से कह सकें।।

तू है सक्षम, तूने लहराया अपना परचम।

तू ही रक्षक, ना बनने दे किसी को अपना भक्षक।।

तेरी कोमलता, तेरा लाज करना, तेरा शर्माना,ना बनने दे इसको अपनी कमजोरी।

उस महायुद्ध में तेरी हाय ने किसी को ना छोड़ी।।

नहीं है कोई भी ऐसा क्षेत्र जहां तू ना कर सके फतेह।

उन दुष्टो के कारण तू क्यों छोड़ेगी अपना देह।।

किसने कहा तेरी दुनिया सीमित है बस बाल बच्चे और घर में।

तू चाहे तो सारी सृष्टि को कर दे अपने कदमों में।।

इस सृष्टि का यह नियम, जो खुद को संभाल ना पाए दुनिया उसे दबाए।

बता दे सबको, है तुझमें इतना साहस जो तू सब से सवाल कर पाए।।

बिना सवाल जवाब कैसे पाएगी, चलेगी नहीं तो आगे कैसे बढ़ पाएगी।

उठ, कदम बड़ा, आगे बढ़, विश्वास रख तू सारी चुनौतियों का सामना कर पाएगी, सवाल करेगी तभी तो जवाब भी पाएगी।।

अपने मन पर खींचे इस अंधकार रूपी लक्ष्मण रेखा को मिटा।

कुछ कर ऐसा और अपना शौर्य सारी दुनिया को दिखा।।

गलत साबित कर उन्हें, जो कहते तू लाचार है, तूने सही ना जाने कितनों की मार है।

उठ इस सहनशक्ति को अपनी ताकत बना, बता दे सबको, जो समय का रुख बदले ऐसा तेरा वार है।।

चुप मत रह कुछ बोल, बोलेगी नहीं तो अपनी आवाज उन तक कैसे पहुंचा पाएगी।

अपने विचार नहीं रखेगी तो उनकी सोच कैसे बदल पाएगी।।

गलत करने वाले से अधिक चुप रहकर सहने वाला अपराधी है।

मत भूल नारी का दूसरा नाम ही आंधी है,

उठ अब तेरी बारी है, इस समाज में लानी तुझे एक और क्रांति है।।

यूं घुट-घुट कर तो तू एक दिन मर जाएगी।

न्याय के लिए लड़ेगी तभी तो अमर हो पाएगी।।

क्यों राह देखती तू किसी की जो तेरे लिए कदम बढ़ाए।

बता दे सबको, है तुझ में इतनी योग्यता, जो तू स्वयं के लिए लड़ पाए।।

साहस नहीं भेद करता, स्त्री है या पुरुष ना ही वह यह देखता।

कर्मठ बन अपने सपनों के घोड़ों को दौड़ा,

खुद पर विश्वास रख, तू यह सब कर पाएगी, युद्ध में भाग लेगी तभी तो विजय भी प्राप्त कर पाएगी।।

समय आ चुका है, एकजुट होने का, समाज को यह बतलाने का, यदि परिस्थिति परिवर्तित ना हुई, यदि यह सब यूं ही चलता रहा, तो वह दिन दूर नहीं जब तू, यानी नारी केवल एक इतिहास बन कर रह जाएगी।

फिर तू होकर भी कुछ नहीं कर पाएगी।।

केवल इतना याद रख, नारी तू अबला नही, नाही तू लाचार है ।

तू बेचारी नहीं, बस समाज से अलग तेरे विचार है।।