काश मैं चाँद होती | Ritu Singh

काश मैं चाँद होती

बस तेरी नज़रों के सामने होती

काश मैं चाँद होती..

तेरी मुस्कुराहट देख लेती

आँखों में तेरी झांक लेती

चुपके से तुझे छू लेती

बाहों में तुझे ले लेती

चाँदनी जैसे बिखर जाती

अपने रंग में समेट लेती

काश मैं चाँद होती..

बादलों के भीतर छुप जाती

चोरी से तुझे देख लेती

पानी के जैसे बरस जाती

काश मैं चाँद होती…

खुली खिड़की से अंदर आ जाती

चाँदनी का बिछौना बिछा देती

माथे को चूम ख़्वाबों में ले जाती

इंद्रधनुष का झूला झुलाती

तारों को पिरोकर हार बनती

काश मैं चाँद होती…

देखते देखते भोर हो जाती

ये रात भी रुक क्यों नहीं जाती

सुबह सुबह जब मैं जाने लगती

धीरे धीरे तुझे उठाती

काश मैं चाँद होती…