शब्दों से बाज़ार सजा है
कुछ कोमल कुछ बासी हैं
कुछ महके फूलों जैसे तो
कुछ चेहरे पर लिए उदासी हैं
शब्दों से बाज़ार.........
रूठे हुए कुछ जीभ तले हैं
कुछ मीठे को कान प्यासे हैं
भाव विनम्रता सुगम सरलता
कुछ छल बल लिप्त झाँसे हैं
शब्दों से बाज़ार.........
कुछ बनाते नए रिश्तों को
कुछ बने हुए को ख़त्म करें
कुछ होते घावों पर मरहम जैसे
तो कुछ नित नए नए ज़ख्म करें
कुछ देते शीतलता मन को
तो कुछ जी को बैचेन करें
कुछ स्नेह लेप लगाते पीड़ा को
तो कुछ सब सुख चैन हरे
शब्दों से बाज़ार............