शब्दों से बाज़ार सजा है - Ajit Singh

शब्दों से बाज़ार सजा है

कुछ कोमल कुछ बासी हैं

कुछ महके फूलों जैसे तो

कुछ चेहरे पर लिए उदासी हैं

शब्दों से बाज़ार.........

रूठे हुए कुछ जीभ तले हैं

कुछ मीठे को कान प्यासे हैं

भाव विनम्रता सुगम सरलता

कुछ छल बल लिप्त झाँसे हैं

शब्दों से बाज़ार.........

कुछ बनाते नए रिश्तों को

कुछ बने हुए को ख़त्म करें

कुछ होते घावों पर मरहम जैसे

तो कुछ नित नए नए ज़ख्म करें

कुछ देते शीतलता मन को

तो कुछ जी को बैचेन करें

कुछ स्नेह लेप लगाते पीड़ा को

तो कुछ सब सुख चैन हरे

शब्दों से बाज़ार............