नया शहर | Anurag

THE FOLLOWING POEM WAS SELECTED IN WINGWORD POETRY PRIZE 2023 LONGLIST.

अच्छा ये बताओ,

ये जो नया मरमरी शहर बसा रहे हो,

तो फिर पुराने वाले का क्या करोगे?

क्या उसे छोड़ दोगे खंडहर बनने के लिए,

जहां के मकान धीरे धीरे पहले अपनी बिजली खो देंगे, फिर उनका रंग उतर जाएगा,

और किसी बरसात में प्लास्टर भी गिर जाएगा।

जो कुछ बरस बाद महज ईंटों के कंकाल रह जायेगें?

जिनमें एक कुतिया अपने छह बच्चों को जन्म देगी

और तुम्हारे नए शहर के घरों से रोटी, डबलरोटी चुराने की ट्रेनिंग देगी।

उन छह भाई बहनों में से, तुम्हारे नए शहर के कोने पर खड़े बिजली के खंभे की आड़ में पेशाब करने की कोशिश में, एक दो तो राम जी को प्यारे हो जाएंगे।

उनकी लाशों को फिर तुम्हारे सफाई कर्मचारी, हाथों में पीले दस्ताने पहन, वहीं पुराने शहर के खंडहरों में फेंक आएंगे,

और एक शाम बदबू से परेशान उनके बचे हुए भाई बहन, उन्हें सोया पड़ा देख, दांतों में खींच घसीट अपनी माँ के पास ले जाएंगे।

अभी तक उन्होंने हाथ थाम कर और नाक के नीचे दो उंगली लगा कर, किसी की सांस या नाड़ी जांचना नहीं सीखा होगा।

माँ भी अनपढ़ गवार, पशु बेचारी,

अपने घर लौटे, गुम हुए बच्चों के लिए खाना लाएगी,

एक दो दिन तक उनसे बात करने की, उन्हें प्यार करने की कोशिश करेगी।

पर फिर उन मरे हुए बच्चों की बदबू से परेशान, उनका निधन स्वीकार कर के, उन्हें दांतों से घसीट कहीं दूर, तुम्हारे शहर के उसी बिजली के खंभे के पास छोड़ आएगी।

क्या तुम उसे यह करने दोगे?

क्या तुम एक पूरे का पूरा शहर, उसकी सल्तनत,

एक विधवा कुतिया को दे दोगे?

क्या करोगे तुम अपने पुराने शहर का?

क्या टिकट लगा कर उसे अजायबघर कर दोगे?

जितना खर्च इस नए शहर को बसाने में जा रहा है,

उतना पर्यटन से निकल आये तो बुरा क्या है?

कह देना, फलां बादशाह फलां साल में फलां देस से आया था,

कोई कहानी बना देना, औरंगज़ेब के सौतेले परपोते के बारे में।

एक पत्थर पर सुनहरे रंग से लिख देना सारा इतिहास।

कुछ बरस बीत जाने देना।

जब टिकट बेच कर, नए शहर के सारे खर्च निबट जाएंगे,

पर्यटकों के आवागमन से तुम्हारा जी उकता चुका होगा और पुराने खंडहर हो चुके शहर की देखभाल महंगी लगने लगेगी,

तो एक अफवाह फैला देना,

कि वहां भूत प्रेत रहने लगे हैं।

कहना औरंगजेब के सौतेले परपोते साहब अपनी सल्तनत में लौट आये हैं और अब यहीं रहेंगे।

लोग मासूम होते हैं, मान लेंगे।

पर कुतिया कहां मानने वाली है,

वो तो वहीं रहेगी।

उसे कोई फर्क नहीं पड़ता।

हाँ, पर उसके जो दो मरे हुए बच्चों के प्रेत

अपने खत्म हो चुके जिस्म की बदबू लेकर

तुम्हारे नए शहर में घूम रहे होंगे,

उनका क्या करोगे?

चलो जाने दो। तुम अपना शहर बनाओ।

अपना नया, मरमरी शहर।

पुराने शहर से तुम्हें क्या लेना देना?