THE FOLLOWING POEM WAS SELECTED IN WINGWORD POETRY PRIZE 2023 LONGLIST.
एक लड़की है मेरे आफिस में,
मुस्कुराती ज़रा कम है।
शायद कहीं दूर से आई है,
या फिर शायद किसी बात का गम है।
उसके अनगिनत सपने है जैसे उसके बाल,
शायद जाना है किसी लंबे सफर पर उसे
इन ईंट के बने जंगलों से दूर
शायद बनाना हो एक मकान
जिसमे बजती हो उसकी धुन
जहां न हार्डवेयर की चिंता हो
न ही किसी सॉफ्टवेयर की फिक्र
बायोमेट्रिक से न हो उसकी पहचान
थोड़ी बगावत भी हो
थोड़ा इश्क़ भी
शायद कोई पूछ लें एक बार
"की दिन कैसा था तुम्हारा"
जहाँ स्नेह कागज़ी न हो
जहाँ रिश्ते फ़र्ज़ी न हो
जहाँ इबादत भी हो
जहाँ आबरू भी हो
रातें भूखी न हो
आँखे नम न हो
रोज़ सरेआम पितृसत्ता की झाँकी न हो।
इन सभी सपनो को वो सहलाती है अपने हाथों से
फिर अपने माथे के पीछे इनको इकट्ठा करके
लगाती एक क्लिप।
शायद एक दिन वो क्लिप खुलेगा
और उसके बाल लहरायेंगे
ठीक उसी तरह
जैसे समुन्दर के किनारे दौड़ते घोड़ो के लहराते है।
वो लड़की शायद अभी ये सुन रही है
वो लड़की शायद अभी ये पढ़ रही है
एक लड़की है मेरे आफिस में,
मुस्कुराती ज़रा कम है।
शायद कहीं दूर से आई है,
या फिर शायद किसी बात का गम है।