साध्य | Yashovardhan Patidar

THE FOLLOWING POEM WAS SELECTED IN WINGWORD POETRY PRIZE 2023 LONGLIST.

शब्दों के शब्द से प्रश्नों के प्रश्न पूछ,

चाहतों के चाहने वालों से उनके कर्म पूछ,

पूछ की क्या था उनकी राहों में?

जो शून्य हो बेठे तुम।

नज़र आता नहीं अस्तित्व तुम्हारा,

ये अस्तित्व की 'ध्वनि' से पूछ,

पूछ कि क्या हैं वो तत्व में?

जो स्थिति में भी हो 'गैर' तुम।

कपट से क्या प्राय हैं पूछ,

कारक के भरतार का खोज पूछ,

अरे! पूछ कि क्या होगा उस पार?

जो होजाते 'तुम' ही में तुम।

प्रविचेतन ना पाकर व्याकुल हो तुम,

तुम्हीं वो वज़ह के 'तुम' ही में तुम और 'मैं' ही तुम,

पूछ कि क्यूँ 'मैं' और 'तुम' में तुम?

जो होजाते स्थिरता में 'अद्वैत' गुण।

ज्ञात नहीं नियम के 'साध्य' तुम्हारे,

प्रयोजन ना हो जब अस्तित्व! पूछ,

प्यारे! पूछ कि आसा से वचन क्यूँ?

जो मिल जाते शून्य में 'खुद' ही तुम।

सत्य का गुण क्यूँ हैं पूछ,

क्यूँ अंत में धारण ही पूछ,

पूछ कि 'अंश' में 'अनंत स्थिति' केसे?

जो रच देता 'ओ३म् आयाम' का मुझ और तुम!